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सृजन गीत / उमाकान्त वर्मा

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याद झरत अँजुरी में,
गंध भरल अँगुरी में,
पोर-पोर सपना कोंचिआइल
टहनी के टूसवा टुसिआइल।
नदिया के घाटी में लहरा बा
ताल देत छनद बड़ा गहरा बा
अर्थ भरल रात गइराइल
टहनी के टुसवा टुसिआइल।
बहक रहल मधुआइल छहियाँ बा,
सहक रहल बउराइल बँहिया बा,
काँपत बा बिजुरी अगुताइल,
टहनी के टुसवा टुसिआइल।
जल किरन फेंक रहल चरवाहा,
हर नुक्कड़-गली-हाट-चउराहा,
खिलखिलात साँकल खुल आइल
टहनी के टुसवा टुसिआइल।
बोध नया उभरत बा बंसवारी,
चिटक गइल धूप, भरल अँकवारी,
गीत सृजन सुरुज मुसुकालइल,
टहनी के टुसवा टुसिआइल।