भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सेन कामकी लायो / रसिक दास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सेन कामकी लायो,सो सावन आयो।
चल सखी झूलिये सुरंग हिंडोरे, कीजे श्याम मन भायो॥१॥
हाव भाव के खंभ मनोहर, कचघन गगन सुहायो।
काम नृपति वृषभान नंदिनी, रसिक रायवर पायो॥२॥