Last modified on 26 जून 2013, at 19:41

सेमल / रंजना जायसवाल

पत्ते पुत्र हैं कलियाँ बेटियाँ जानता है सेमल
बेटे रहेंगे देर तक साथ
बेटियाँ विदा हो जाएँगी
फूल बनते ही फिर भी भेद नहीं बरतता है
तब भी नहीं जब
कलियों के युवा होते ही
दूर-दूर से आने लगती है
रसिकों की टोली जानता है
जब तक बेटियाँ हैं घर जगमग है
जाते-जाते भी दे जायेंगी वे फल
जिसमें सृजित होगी श्वेत...कोमल ऊष्मा
जिसे जानेगा संसार उसके ही नाम से