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सोए हैं सब बे ख़बर किस काम का / राज़िक़ अंसारी

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सोए हैं सब बे ख़बर किस काम का
दर्द रोना दर ब दर किस काम का

मौत को आना है आएगी ज़रुर
ख़ौफ़ घर में इस क़दर किस काम का

लज़्ज़त ए दर्द ए जिगर लिख डालिए
जागना यूं रात भर किस काम का

हालत ए बीमार ए दिल है ज्यूं की त्यूं
चारा साज़ी का हुनर किस काम का

परबतों को काट कर चलते चलो
वरन् अपना ये सफ़र किस काम का