Last modified on 23 फ़रवरी 2008, at 01:27

सोचने का परिणाम / रघुवीर सहाय

कष्ट के परिणाम से हम दूसरों से क्या बड़े होंगे
व्यथा को भुलाने में अकेले हम कौन ऐसा तीर मारेंगे
भले ही चूकने में या निशाना साधने में हुनर दिखला लें
तथा यह भी
कि हरदम सोचते रहना किसी की शुद्धता उत्कृष्टता का नहीं लक्षण है
गधा भी सोचता है घास पर चुपचाप एकाकी प्रतिष्ठित हो
कि इतनी घास कैसे खा सकूंगा
और दुबला हुआ करता है।