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सोने की चिड़िया और प्रवासी पक्षी / राकेश प्रियदर्शी


सोने की चिड़िया कहे जानेवाले देश में
सफेद बगुलों ने आश्वासनों के इन्द्रधनुषी
सपने दिखाकर निरीह मेमनों की आंखें
फोड़ डाली हैं

मेमने दाना-पानी की जुगाड़ में व्यस्त हैं.
सफेद बगुले आलीशान पंचतारा होटलों
में आजादी का जश्न मना रहे हैं

प्रवासी पक्षियों के समूह सोने की चिड़िया
कहे जाने वाले देश के वृक्षों पर अपने घोंसले
बना रहे हैं और देशी चिड़ियों के समूह
खाली वृक्ष की तलाश में भटक रहे हैं

कुछेक साल देशी चिड़िया को लगातार सौंदर्य
का ताज पहनाया गया और प्रवासी पक्षी
अपना स्थान बनाने की खुशी में गीत गुनगुना रहे हैं

वृक्ष पर बैठे प्रवासी पक्षियों की बीट से
पुण्य भूमि पर पाश्चात्य गंदगी फैल रही है
विश्व गुरु कहे जानेवाले देश में गुरु पीटे जा रहे हैं
और चेले प्रेमिकाओं संग व्यस्त हैं
शिक्षा व्यवस्था का बोझ गदहों की पीठ पर
लाद दिया गया है

अपने निहित स्वार्थ के लिए सफेद
बगुले लगातार देश को बांटने की साजिश में लगे हैं
देश जितना बंटेगा कुर्सियां उतनी ही सुरक्षित होंगी

महाभारत आज भी जारी है
भूखे-नंगे लोग युद्ध क्या करेंगे, मारे जा रहे हैं
बिसात आज भी बिछी है
द्युत खेला जा रहा है ‘कौन बनेगा करोड़पति’
जैसे टीवी सीरियल देखकर बच्चे ही नहीं,
तथाकथित बुद्धिजीवी भी फोन डायल कर रहे हैं

हवा में तैर रहा है बिना परिश्रम के
करोड़पति बनने का सवाल -
प्रवासी पक्षी अगली सदी तक कितने अण्डे देंगे?