भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सो जा ओ बिटिया रानी / भगवतीप्रसाद द्विवेदी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:00, 17 सितम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भगवतीप्रसाद द्विवेदी |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

थपकी देकर सुला रही तेरी नानी,
सो जा, सो जा, सो जा ओ बिटिया रानी!
तू तो राजकमारी, राजदुलारी है
तेरे बिन फीकी हर महल-अटारी है,
तेरी नादानी, शैतानी के आगे,
सौ-सौ समझदारियां हरदम हारी हैं।
तेरी मस्ती से है दुनिया मस्तानी,
सो जा, सो जा, सो जा, ओ बिटिया रानी!
आएंगे सपने में तारे टिम-टिम-टिम
पुआ पकाएंगे चंदा मामा गिन-गिन-गिन,
दूध-भात की थाली लेकर आएंगे
इंद्रधनुष की छटा दिखे रिमझिम-रिमझिम।
दिखलाएगी कथा चहक निंदिया रानी,
सो जा, सो जा, सो जा, ओ बिटिया रानी!
थकी सांस जैसी तू भी है थकी-थकी
सभी पेड़-पौधे सोए लेकर झपकी,
सुबह तरोताजा हो जा तू, इसीलिए
सुला रही तेरी नानी देकर थपकी।
पलक मूंद ले, गाती है लोरी नानी,
सो जा, सो जा, सो जा, ओ बिटिया रानी!