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सौंधे समीरन कौ सरदार / शृंगार-लतिका / द्विज

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किरीट सवैया
(भ्रमरावली के मुख से वसंत-महिमा का कथन)

सौंधे समीरन कौ सरदार, मलिंदन कौ मनसा-फल-दायक ।
किंसुक-जालन कौ कलपद्रुम, मानिनी-बालन हूँ कौ मनायक ॥
कंत अनंत, अनंत कलीन कौ, दीनन के मन कौ सुख दायक ।
साँचौ मनोभव-राज कौ साज, सु आवत आज इतै ऋतु-नायक ॥७॥