Last modified on 7 जुलाई 2022, at 07:12

सौन्दर्य लहरी / पृष्ठ - 9 / आदि शंकराचार्य

Kailash Pareek (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:12, 7 जुलाई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आदि शंकराचार्य |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

गुरुत्वं विस्तारं क्षितिधरपतिः पार्वति निजा -
न्नितम्बादाच्छिद्य त्वयिहरणरूपेणनिदधे ।
अतस्ते विस्तीर्णो गुरुरयमशेषां वसुमतीं
नितम्ब प्राग्भारः स्थगयतिलघुत्वंनयति च ॥ ८१॥