Last modified on 26 अप्रैल 2012, at 13:19

स्त्री-पुरूष (21) / कमलेश्वर साहू

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:19, 26 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश्वर साहू |संग्रह=किताब से निक...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


पुरूष चूँकि राजा था
उसे रानी की जरूरत महसूस हुई
राज्य के सबसे सुन्दर स्त्री का वरण किया
पुरूष चूंकि राजा था
एक रानी के भरोसे कैसे जीता
सो रानियों की संख्या बढ़ती गई
राजा बूढ़ा होता जा रहा था
पुरूष चूंकि राजा था
रानियां सुन्दर और जवान ही चाहिए
देखते ही देखते
राजमहल के कितने ही कमरों में
स्त्रियों की सिसकियां दम तोड़ने लगीं
राजमहल के कितने ही कमरे
कबाड़खाने में बदल गये
और रानियां कबाड़ में
हमें याद रखना चाहिए
रानियां
स्त्री थीं !