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स्त्री – एक / राकेश रेणु

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एक दाना दो
वह अनेक दाने देगी
अन्न के ।
एक बीज दो
वह विशाल वृक्ष सिरजेगी
घनी छाया और फल के ।

एक कुआँ खोदो
वह जल देगी शीतल
अनेक समय तक अनेक लोगों को
तृप्त करती ।
धरती को कुछ भी दो
वह और बड़ा,
दोहरा-तिहरा करके लौटाएगी ।

धरती ने बनाया जीवन सरस,
रहने-सहने और प्रेम करने लायक

स्त्रियाँ क्या
धरती जैसी होती हैं ?