Last modified on 1 जनवरी 2010, at 20:30

स्थगित लड़ाई / विमल कुमार

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:30, 1 जनवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विमल कुमार }} {{KKCatKavita‎}} <poem> मैं अब तक लड़ता रहा समाजव…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैं अब तक लड़ता रहा
समाजवाद से
पर मेरे भीतर ही छिपा था
ब्राह्मणवाद कुंडली मारे
मैंने स्थगित कर दी अपनी लड़ाई
लौट आया हूँ
अपनी रणभूमि से
सारे हथियार डाल दिए हैं
शिविर में
रातभर मुझे लड़ना है
ख़ुद से
फिर कल निकलूंगा
सुबह सुबह
एक नए जोश से
कल कोई मुझे
मेरे गुनाहॊं के लिए न कोसे।