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स्नातक / भाग - 2 / जतरा चारू धाम / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

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गंगोत्रीसँ सहटि कने हटि यमुनोत्री पश्चात्
कृष्णा कृष्ण प्रेममे झामरि चललि डरि एकात।।16।।

यमुना जल कज्जल अवगाहब श्याम रंग रुचि बोरि
वृंदा कुंज गली गोकुल मधुरा नगरी मधु घोरि।।17।।

इन्द्रप्रस्थ दिल्ली पूर्वापर युग - युग जत रजवास
लहरि - लहरि उत्थान - पतन पढ़ि बिंदु - बिंदु इतिहास।।18।।

राजघाटपर - विजयघाट पर - श्रद्धांजलि चढ़बैत
नव - पुरान जत बुर्ज - दुर्ग कटु मधु कन कनक बिछैत।।19।।

घवल महल ताजक प्रतिबिंवित जल मलिना यमुनाक
शाही प्रेम किलाबंदी पुनि बंदी शाहजहाँक।।20।।

यमुना कज्जल, गंगा उज्ज्वल, संगम रंग प्रयाग
मकर कुम्भ डुब दैत छोड़ायब जनम - जनम केर दाग।।21।।

अक्षय वट तट जाय भरद्वाजक आश्रमहु घुमैत
जखन - तखन मन झूस यदि च झूसी पहुँचब सेबैत।।22।।

गोमतीक चक्रक चंक्रम, क्रम लघु - लघु ललकि मिलैत
बिच बिच शाखा सखी सहायक, गंग अंग लगबैत।।23।।

उत्तरवाहिनि काशी गंगा बिंदु - बिंदु मणि कर्ण
घाट - घाट पर अश्वमेघ जत माटि - माटिमे स्वर्ण।।24।।

स्नान - ध्यान गुन - गान विश्वनाथक कय बनब सनाथ
अन्नपूर्णा चरण रेणु धय माथ, न रहब अनाथ।।25।।

मर्यादा पुरुषोत्तम रामक सरयु सलिल उछलैत
भागीरथी! कृतज्ञ मिलिअ भगिरथ छथि ओतहि बसैत।।26।।

गंज-गंज झाड़ी - झुरमुट कत कुंज-कुंज अविराम!
नगर-डगर पुर-पथ कत गाम-गमइ क तटहु बिसराम।।27।।

एम्हर सदानीरा - शालिग्रामी - गंडकी, त्रिभुक्ति
ओम्हर मगध - तट सोन स्वर्णकण, पाटलिपुत्र प्रसक्ति।।28।।

नन्द - मौर्य ओ शुंग - गुप्त, विक्रमक पराक्रम रीति
चाणक्यक गुनि नीति, अशोकक धर्म - चक्र उर प्रीति।।29।।

लगहि शिला विक्रम, नालंदा शिक्षा - केन्द्र उदार
घर - घर एम्हर विकेन्द्रित मिथिला मुविदित विद्यागार।।30।।