भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्मृतियाँ- 4 / विजया सती

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:12, 31 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजया सती |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घड़ी की सुइयों पर दबाव
मैंने नहीं डाला
कैलेण्डर की तारीख को भी
दृष्टि से नहीं बाँधा
फिर भी अगर
ये पल ठहर गए हैं तो क्या
मैं जीना स्थगित कर दूँ कुछ देर के लिए?