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स्याम-स्याम रटते-रटते पीयर भइलें देहिया / महेन्द्र मिश्र

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स्याम-स्याम रटते-रटते पीयर भइलें देहिया ए मोरा उधो बाबा
स्याम भइलें डूमरी के फूल ए मोरा ऊधो बाबा।
जमुना किनारे श्याम जोड़लें सनेहिया ए मोरा ऊधो बाबा।
रहि-रहि जियरा उठे शूल ए मोरा ऊधो बाबा
हम नाहीं जनलीं श्याम होइहें निरमोहिया ए मोरा उधो बाबा।
कहत महेन्द्र हमना होइबों जोगिनिया ए मोरा उधो बाबा।
प्रेम भइलें दुखवा के मूल ए मोरा उधो बाबा।