Last modified on 21 मई 2011, at 01:44

स्वतन्त्र भारत / श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'

महर्षि मोहन के मुख से निकला, स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।
सचेत होकर सुना सभी ने, स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।
रहा हमेशा स्वतन्त्र भारत, रहेगा फिर भी स्वतन्त्र भारत।
कहेंगे जेलों में बैठकर भी, स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।
कुमारि, हिमगिरि, अटक, कटक में, बजेगा डंका स्वतन्त्रता का।
कहेंगे तैतिस करोड़ मिलकर, स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।

रचनाकाल : 1922