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स्वदेशी / रचना उनियाल

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मेरा भारत मेरा भारत, मेरा भारत कहना है।
भारत मेरा उन्नत होगा, देसी उसका गहना है।
देशभक्ति का दीप जला हिय, वस्तु स्वदेशी उपयोगी
शपथ धार ले मात लाल तू, प्रगति धार में बहना है॥

एक मंत्र का जाप करे मनु, देसी हो जीवन लाली।
शैली भारतीय अपनायें, गाँव शहर की हर बाली।
भू पर निर्मित उत्पादों से, खिल जाये हर मन कोना
कर प्रयोग फिर गर्वित स्वर से, झूमे हर बगिया माली॥

लक्ष्य हृदय में तुझे साधना, यही मनुज हो प्रण तेरा।
सोने की चिड़िया भारत हो, दृढ़ इच्छा का हों फेरा।
प्रथम पंक्ति में देश हमारा, शक्तिमान ही बनना है-
बिसर गये जो क्षण सदियों में, जीवित हो उनका घेरा॥

आज ठान लो भारतवासी, वस्तु स्वदेशी घर लेना।
पा जायें रोजगार सभी तन, इसी बात का वर देना।
लघु उद्योगों की बहुतायत, ख़ुशहाली-खुशहाली हो
विश्व विजेता होगा भारत, कर्म नाव को हर खेना॥