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स्वरों का गीत / सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'

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अ से अनार, आ से आम
करते जाना अच्छे काम।
इ से इमली, ई से ईख
बात करो ठीक-ठीक।
उ से उल्लू, ऊ से ऊन
रखना बढ़ने की धुन।
ऋ से ऋषि देता सीख
मत कभी बड़ों पर चीख।
ए से एड़ी, ऐ से ऐनक
देश की है तू रौनक।
ओ से ओखली, औ से औरत
रखो कभी न बुरी चाहत
अं से अंगूर, अः से अहा
प्यार की तू गंगा बहा।