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स्वर्ग नर्क / रामकृपाल गुप्ता

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मैं तो हँसती हूँ मुसुकाती चहकती हूँ गाती हूँ
नाच नाच घूँघरू की लय पर दिल सबका नचाती हूँ
मेरे जीवन की है एक गति हँसना हँसते जाना
लाख लाख अदा और नाज़ ओ अन्दाज़ के सितम ढाना
बिगडे़ दिलों कोऔर बहकाना।
भाग रे भाग कवि
राख मत उघाड़ दबी चिनगारी
अनगिनत चोटों से पका जिस्म मैं तो थकी-हारी
मत कुरेद सोई हूँ, सोने दे
भूख सड़कों पर नोच लेगी मुझे मत खींचो
जीवन धारा मेरीअटक गई
व्यर्थ नयी धारा से मत खींचो।