भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हँसी और मौत के सिवा / सिनान अन्तून / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:02, 12 अगस्त 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सिनान अन्तून |अनुवादक=अनिल जनविज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मैं हँसता हूँ
कार पर
जो गुर्रा रही है मुझ पर
और कहता हूँ —
क्या तुम्हें लगता है कि
मैं तुम्हें लेकर चिन्तित हूँ
कि तुम चढ़ जाओगी मुझ पर।
मैं हँसता हूँ
सैनिक पर
चीख़ रहा है मुझ पर जो
और कहता हूँ —
क्या तुम्हें लगता है कि मैं चिन्तित हूँ
कि तुम मुझे गोली मार दोगे।
मैं हँसता हूँ
क्योंकि मेरे पास
और कुछ नहीं बचा है
हँसी और मौत के सिवा।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय