Last modified on 11 फ़रवरी 2009, at 22:36

हँस रहा हूँ मैं / विजय सिंह

सूरज के लिए

पल-पल मुश्किल समय में
अकेला नहीं हूँ

सूरज की हँसी है
मेरे पास

सूरज की हँसी
तीरथगढ़ का जलप्रपात है
जहाँ मैं डूबता-उतराता हूँ
और भूल जाता हूँ
अपनी थकान

सूरज हँस रहा है
हँस रहा है घर
हँस रहा है आस-पड़ोस
हँस रहे हैं लोग-बाग
हँस रहे हैं आसमान में उड़ते पक्षी
हँस रहा हूँ मैं
हँस रही है पृथ्वी इस समय।