भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हंस के जीभ तरासल छै (कविता) / रामदेव भावुक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=रामदेव भावुक
 
|रचनाकार=रामदेव भावुक
 
|अनुवादक=
 
|अनुवादक=
|संग्रह=रहंस के जीभ तरासल छै / रामदेव भावुक
+
|संग्रह=हंस के जीभ तरासल छै / रामदेव भावुक
 
}}
 
}}
 
{{KKCatAngikaRachna}}
 
{{KKCatAngikaRachna}}

02:42, 8 जून 2016 के समय का अवतरण

सहकि गेलौ सरकार सिपाही, उड़ल कबूतर बाज भेलौ
बलात्कार करै छौ बरदी, राइफल तोर रंगबाज भेलौ

देखबै छौ तारा दिन में ई
उल्लू के सुरुज सुझावै छौ
हमरा तॅ कौआ सए ओक्कर
बच्चे तेज बुझाबै छौ

चील शान्ति-सन्देश के वाहक, गिद्ध सिद्ध महराज भेलौ

भुक्खल कुहकि रहल छै कोइली
पपिहा कण्ठ पियासल छै
पानी दूध अलग करतौ के
हंस के जीभ तरासल छै

मोर आँखि के लोर कहै छौ, उजरा टोपी ताज भेलौ

चातक चकोर पंछी परबासी
बेचारा सुरखाव भेल छै
बुलबुल बन्हुआ मजूर बाग के
सारस नया नवाव भेल छै

चमगादर शूली पर चढ़लौ’, नीलकण्ठ मोहताज भेलौ

बेरहम हरम के मुट्ठी मे
बत्तख मुर्गी के जिनगी छै
बोलय बाग के हरिहर ई
भावुक मन में चिनगी छै

प्यादा के सिर पर छै सेहरा, बादशाह बेताज भेलौ