भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमका मेला में चलिके घुमावा पिया / भोजपुरी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:34, 28 जुलाई 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: पवन विजय

हमका मेला में चलिके घुमावा पिया
झुलनी गढ़ावा पिया ना।

अलता टिकुली लगइबे
मंगिया सेनुर से सजइबे,

हमरे उँगरी में मुनरी पहिनावा पिया
मेला में घुमावा पिया ना।

हँसुली देओ तुम गढ़ाई
चाहे कितनौ हो महंगाई,

हमे सोनरा से कंगन देवावा पिया
हमका सजावा पिया ना।

बाला सोने के गढ़इबे
चाँदी वाली करधन लइबे,

छागल माथबेनी हमके बनवावा पिया
झुमकिउ पहिनावा पिया ना।

कड़ेदीन की जलेबी
मिठाईलाल वाली बरफी,

डंगर हेलुआई के एटमबम लियावा पिया
इमरती खियावा पिया ना।

गऊरी शंकर धाम जइबे
अम्बा धाम के जुड़इबे,

इही सोम्मार रोट के चढावा पिया
धरम तू निभावा पिया ना।