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हमको हमारे गाँव का दीदार चाहिए / चन्द्रगत भारती

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हमको हमारे गाँव का दीदार चाहिए
बचपन मे जो मिला था वही प्यार चाहिए।।

अमिया को तोड़ना बस पोखर मे तैरना
खलिहान खेत गाँव की गलियो मे दौड़ना
जलते चिरागों का वही घर द्वार चाहिए।।

यारो के सँग खेलना पीपल की छाँव मे
काँटो का डर नही था चुभते थे पाँव मे
खिलते गुलाबों सा वही परिवार चाहिए।।

फागुन मे भाभियो का कीचड़ से मारना
भूला नही हूं गालियाँ दे दे के भागना
हमको फुहारों का वही त्योहार चाहिए।।