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हमनी के रहब जानी दूनू हो परानी / भोजपुरी

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   ♦   रचनाकार: महेन्द्र मिसिर

हमनी के रहब जानी दूनू हो परानी
अंगना में कींच-काँच दुअरा पर पानी
खाला ऊँचा गोर पड़ी चढ़ल बा जवानी
देश-विदेश जाल‍ऽ टूटही पलानी
केकरा पर छोड़के जालऽ टूटही पलानी
कहत महेंदर मिसिर सुनऽ दिलजानी
केकरा से आग मांगब, केकरा से पानी!