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हमने कलम उठाई खुद से / गोपाल कृष्ण शर्मा 'मृदुल'
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हमने कलम उठाई खुद से।
घर में आग लगाई खुद से।।
सच को सच कहने की खातिर,
अक्सर लड़ी लड़ाई खुद से।।
गलत सही का खूब पता था,
जिरह नहीं हो पायी खुद से।।
पीड़ा इसकी हो या उसकी,
हमने ही अपनायी खुद से।।
रब से शिकवा-गिला करें क्या,
हमने खोदी खाईं खुद से।।
उसका इसमें दोष नहीं है,
चातक लगन लगाई खुद से।।