हमने जब जब खून बहाया, रास आया
झूठ का नुस्खा जब अजमाया,रास आया
नफरत से नुकसान नहीं पहुंचा हमको
मौत का जब भी जश्न मनाया,रास आया।
पेशा ही ऐसा है यार सियासत का
भाई को भाई से लड़ाया,रास आया।
बाढ़ और सूखे की रकम डकार गए
एक हिस्सा मंदिर में चढ़ाया,रास आया।
एक सड़क ही आज तलक बनवायी है
हर छह महीने पर नपवाया,रास आया।