भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हमने माना कि हम नहीं अच्छे / दीपक शर्मा 'दीप'
Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:03, 16 सितम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार= दीपक शर्मा 'दीप' }} {{KKCatGhazal}} <poem> हमने...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हमने माना कि हम नहीं अच्छे
पर किसी पे सितम नहीं अच्छे I
मोतबर उनके सिवा कोई नहीं
आप कहते हैं गम नहीं अच्छे ?
इश्क़-ओ-वस्लो-हिज़्र सब अच्छे
हुस्न-ओ-पेचो-ख़म नहीं अच्छे I
दुश्मनी किसका घर न फूकेंगी ?
छोड़िये ना ये बम , नहीं अच्छे I
आदमी तो ये 'दीप' , अच्छा है
कम के करम नहीं अच्छे I