भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमरा दिलोॅ में एक वही याद बसलोॅ छै / अनिल शंकर झा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमरा दिलोॅ में एक वही याद बसलोॅ छै
वहॅ एक पथ केरोॅ अपना के साथ छै।
एक बस एक याद दिन रात एक साथ
यही एक आत्मा सें थामनें ई हाथ छै।
यहीं कभी दुखोॅ केशेॅ सागरोॅ में गोतै कभी
सुख के हिड़ोला पेॅ झुमाबे कभी साथ छै।
खनु ब्रह्मानन्द में यें डुबकी लगाबै कभी
लोरोॅ सें धूलाबें खनूं जिनगी के पाथ छै॥