भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमरोॅ भारत महान / मीरा झा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम्में कहलियै,
हे हे हमरा कम झलकै छै
इलोह सन बुझवे छै
लोगें कहलकैµ
फोॅल-फलेरी खाहोॅ नी
हम्में कहलियै
से की, हमरा बोखार लागलोॅ छै ?
फोॅल-फलेरी तेॅ हम्में सब बेमारिये में खाय छियै
ओकरा में टअका कहाँ
कानोॅ-कोतरोॅ, जे नै बिकल्हौं
वहेॅ खोजी केॅ आनै छियै
बेटी आर केॅ तेॅ वोहो नसीब नै
आम ऐल्हौं तेॅ आम खैलौं,
लताम फरलोॅ तेॅ खैलौं
कीनी केॅ तेॅ नहिये नी ।
ई सब होय छौं बड़ी नी एक्सीडेंटल
जेना बच्चा सब जननै छै इन्सीडेन्टल
नै देहोॅ पर बस्तर, नै छपरी के ठेकानोॅ
जेहे बथान, वहेॅ हमरोॅ थान
तैयो हमरोॅ भारत महान ।