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हमसे किसका काम बनेगा कोई क्या ले जाएगा / कांतिमोहन 'सोज़'

हमसे किसका काम बनेगा कोई क्या ले जाएगा ।
अपना छप्पर फूँकनेवाला साथ हमारे आएगा ।।

हम हैं निगोड़े हम हैं भगोड़े हम हैं निकम्मे हम काहिल
जिस दम महफ़िल रंग पे होगी हमसे रहा न जाएगा ।

महफ़िल-महफ़िल ज़ख़्म सजे हैं बिखरे फूल खराबे में
मीरे-ज़माना ये तो बता दे आगे क्या दिखलाएगा ।

ग़ुँचा-ग़ुँचा ज़हरआलूदा बूटा-बूटा साग़रे-सम
इस गुलशन में इश्क़ का नग़मा छेड़ तो माना जाएगा ।

इतना ज़ुल्म न कर दुनिया से उठ ही जाए दिलबाज़ी
वरना कौन तेरे मक़्तल में तान के सीना आएगा ।

वाए-क़यामत सर हैं सलामत सूने पड़े हैं दारो-रसन
हमको बानी कौन कहेगा रहबर कौन बनाएगा ।

सोज़ हमारे बाद जहां को याद हमारी आएगी
खस्तादिलों की आहो-बुका को बिजली कौन बनाएगा ।।

18-1-1985