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Kavita Kosh से
हया, ईमां, वफ़ा सब ख़त्म कर दी
बचा क्या है कि कुर्बानी क़ुर्बानी करोगे
ख़ुदा से आदमी बनकर दिखाओ
तो बन्दों पर मेहरबानी करोगे
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