भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमारे दिल की बजा दी उस न ईंट से ईंट / फ़व्वाद अहमद

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमारे दिल की बजा दी उस न ईंट से ईंट
हमारे आगे कभी उस का नाम मत लेना

उसी निगाह से पीने में लुत्फ़ है सारा
अलावा उस के कोई और जाम मत लेना

इसी सबब से है दुनिया में आसमाँ बदनाम
तुम अपने हाथ में ये इंतिज़ाम मत लेना

दिल ओ नज़र की बक़ा है फ़क़त मोहब्बत में
दिल ओ नज़र से कोई और काम मत लेना

यहाँ पे अच्छा है जितना भी मुख़्तसर हो क़याम
ज़लील होगे हयात-ए-दवाम मत लेना

ये सारे लोग तुम्हारा मज़ाक़ उड़ाते हैं
जहाँ में और मोहब्बत का नाम मत लेना

रहोगे चाँद की सरगोशियों से भी महरूम
किसी से धूप का जलता कलाम मत लेना

अगरचे तुम पे हुआ है यहाँ पे ज़ुल्म बहुत
किसी से उस का मगर इंतिक़ाम मत लेना