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हमारे पास न गीत हैं, न लफ़्ज़ हैं / अनस्तसीया येर्मअकोवा / अनिल जनविजय

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हमारे पास न गीत हैं, न लफ़्ज़ हैं –
सिर्फ़ मौन है ।
सिर्फ़ एक ठण्डा भोर है, बस,
और वादे ख़ाली, गौण हैं ।

फिर-फिर परेशान करेगा वह सपना
जो बीती गर्मियों में देखा था ।
पुराने उस पलंग पर लेटे थे तुम
और कविताओं का लेखा था ।

सिर्फ़ सरसराहट थी एक और कुछ नहीं
वसन्त में खिले कुछ फूल थे
घास की गन्ध थी
सहलाते हुए उँगलियों के पोरों के हूल थे
हम ख़ुश थे, ख़ुशी हमारी दग्ध थी ।

2008

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
              Анастасия Ермакова
        У нас ни песен, ни слов нет

У нас ни песен, ни слов нет –
Одно молчание.
И только холодный рассвет –
Пустые обещания.
И вновь потревожит твой сон
Забытое лето.
На старой кровати ты –
Пишешь куплеты.
И нет ничего только шелест
Весной одуванчиков
И запах травы
Тревожит до кончиков пальчиков
И счастливы мы.

2008