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हमेशा प्यार देखूँगा / दीनानाथ सुमित्र

तुम्हें सौ बार देखा है, तुम्हें सौ बार देखूँगा
हमेशा प्यार देखा है, हमेशा प्यार देखूँगा
 
गगन के चाँद को देखा
चमन के फूल को देखा
हरीले खेत को देखा
उफनती धूल को देखा
नहीं इंकार देखूँगा, सदा स्वीकार देखूँगा
तुम्हें सौ बार देखा है, तुम्हें सौ बार देखूँगा
हमेशा प्यार देखा है, हमेशा प्यार देखूँगा
 
तुम्हारा तन, तुम्हारा मन
तुम्हारा सोन-सा जीवन
मिला तुमसे जो अपनापन
करूँगा सदा ही सुमिरण
नहीं तकरार देखा है, नहीं तकरार देखूँगा
तुम्हें सौ बार देखा है, तुम्हें सौ बार देखूँगा
हमेशा प्यार देखा है, हमेशा प्यार देखूँगा
 
 तुम्हारे दर्द की सारी
दवा है पास में मेरे
तुम्हारा प्यार अद्भुत है
तुम्हारे रूप बहुतेरे
तुम्हें अपने हृृदय में मैं सदा साकार देखूँगा
तुम्हें सौ बार देखा है, तुम्हें सौ बार देखूँगा
हमेशा प्यार देखा है, हमेशा प्यार देखूँगा