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हम्द1 / निदा फ़ाज़ली

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|संग्रह=खोया हुआ सा कुछ / निदा फ़ाज़ली
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{{KKCatNazm}}
<poem>
नील गगन पर बैठ
कब तक
चाँद सितारों से झाँकोगे
नील गगन पर बैठ <br>पर्वत की ऊँची चोटी से कब तक <br>चाँद सितारों से झाँकोगे<br><br>दुनिया को देखोगे
पर्वत की ऊँची चोटी से <br>आदर्शों के बन्द ग्रन्थों मेंकब तक<br>दुनिया को देखोगे<br><br>आराम करोगे
आदर्शों के बन्द ग्रन्थों में<br>मेरा छप्पर टरक रहा हैकब तक <br>बनकर सूरज आराम करोगे<br><br>इसे सुखाओ
मेरा छप्पर टरक रहा खाली है<br>बनकर सूरज <br>प्रार्थनाइसे सुखाओ<br><br>आटे का कनस्तर कबनकर गेहूँइसमें आओ
खाली माँ का चश्मा टूट गया है<br>प्रार्थना<br>आटे का कनस्तर <br>कबनकर गेहूँ<br>बनकर शीशाइसमें आओ<br><br>इसे बनाओ
माँ का चश्मा <br>टूट गया है<br>चुप-चुप हैं आँगन में बच्चेबनकर शीशा<br>गेंदइसे बनाओ<br><br>इन्हें बहलाओ
चुप-चुप हैं आँगन में बच्चे<br>शाम हुई है बनकर गेंद<br>चाँद उगाओइन्हें बहलाओ<br><br>पेड़ हिलाओहवा चलाओ
शाम हुई है <br>चाँद उगाओ<br>पेड़ हिलाओ<br>हवा चलाओ<br><br> काम बहुत हैं<br>हाथ बटाओ अल्ला मियाँ<br>मेरे घर भी आ ही जाओ<br>
अल्ला मियाँ...!
</poem>
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