Last modified on 26 मई 2016, at 23:42

हम्में आग लगाय लेॅ ऐलॉे छी / अश्विनी

हम्में आग लगाय लेॅ ऐलॉे छी
हम्में बाग लगाय लेॅ ऐलोॅ छी
डरलोॅ दबलोॅ सब लोगोॅ केॅ
एक राग सुनाय लेॅ ऐलोॅ छी

सगरोॅ लागै सूनोॅ-सूनोॅ
ममता कानै छै कलपै छै
उम्मीदोॅ के वागोॅ में
झुटठॉे केरोॅ फूल बिखरलो छै
श्मशानोॅ के बीचोॅ में दीया एक जलाय लेॅ ऐलोॅ छी।

धर्मोॅ के कफ्फन ओढ़ी केॅ
गिद्धा-कौआ सब नाचै छै
मानवता रोॅ लाशोॅ पर
बगुला गीता गाबी बाँचै छै
इनक्लाव रोॅ धरती पर संदेश सुनाय लेॅ ऐलोॅ छी।

शहरोॅ के नै तों बात करोॅ
गाँवोॅ डुबलो छै खूनोॅ में
डाकिन खप्पर लै-नाचै छै
रात-दुपहरिया दिनोॅ में
के के जैतै के के रहतै के विगुल बजाय लेॅ ऐलोॅ छी।