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हम अलग-थलग रहे / विनोद तिवारी


हम अलग-थलग रहे
भीड़ से कटे हुए

आप पाक साफ़ हम
धूल में अटे हुए

एकता के पक्षधर
हैं मगर बँटे हुए

गीत हमने गाए हैं
आपसे रटे हुए

दिल में आग है मगर
होंट हैं सटे हुए

हम भी क़ीमती तो हैं
नोट पर फटे हुए

लोग जल्दबाज़ थे
काम अटपटे हुए