भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम और तुम-1 / बोधिसत्व

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:14, 1 मार्च 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बोधिसत्व |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> यदि ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
यदि हम एक-दूसरे के बर्तन होते
तो हम लिखवाते शायद एक-दूसरे पर अपने नाम
यदि हम एक-दूसरे के लिए किताब होते तो उस पर लिखते अपने नाम
कितनी जगहों पर रेखाएँ खींच कर दर्ज करते कुछ न कुछ
हज़ार बर्तनों और हज़ार किताबों के बीच
खोज लेते पा लेते एक दूसरे को ।