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हम चान सुरुज के धरती पर ले आइबि / प्रभुनाथ मिश्र

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हम चान सुरुज के धरती पर ले आइबि
हमरा तहरा में बाटे अन्तर भारी।
हम पैदम बानी, हवा तहार सवारी।
तू बीच पइसि के लिहल बान्हि समुन्दर।
हमरा के इहवाँ छोड़ि-छाड़ि के आरी।
तू थोर-थोर के साथे जब अगुअइल।
हम ढेर-ढेर के साथे ले पिछुअइबि।। हम.....

काहे खातिर विज्ञान तहार बनल बा
जहवाँ मउवत के गड़हा गहिर खनल बा
विज्ञान तहार कि बइठि छाँह में जेकरा
अदिमी अदिमी में लोहा आजु ठनल बा
तू धरती के सोना भट्ठी में झोंक।
हम झारि-झारि धुरिया सोना उपजाइबि।। हम.....

तहरा घर गाँजल रकम-रकम के बम।
का कोटि-कोटि के बँहिया के ना चमकावे।
फिरु कवन काम के बम के चमचम बा।
तू धरती से अकास में चान उगाव।
हम चान सुरुज के धरती पर ले आइबि।। हम.....

तू तो अकास से चलल करे मिताई
हम धरती तजि कइसे पताल में जाईं
हमरे हाथे तहरा पतंग के डोरी
जब खींच लेबि तब ऊ नीचे चलि आई
कइलस बढ़ाव ऊपर तू हम नीचे-
कइलास उतारबि, धरती उपर उठाइबि।। हम.....