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हम तुम तौ हैं एक जगा के / महेश कटारे सुगम
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हम तुम तौ हैं एक जगा के ।
अब का पूँछें को हौ काँ के ।
एक हवा में पले बढ़े हैं,
एकई से हैं अपने साके ।
तुम जब टेरौ हम आ जें हें,
कितै नाँकनेँ कौनऊँ नाके ।
पुरा परौसी कैसौ रिश्तौ,
हम जो ठैरे लिगाँ-लिगाँ के ।
अपनौ कोउ कितऊँ मिल जावै,
दिल में फूटन लगत फटाके ।