भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= अमजद हैदराबादी }}{{KKCatGhazal}}<poem>
हम तो एक बार उसके हो जायें।
 
वो हमारा हुआ, हुआ, न हुआ॥
 
ढूँढ़ता हूँ मैं हर नफ़स<ref>सांस</ref> उसको।
 
एक नफ़स<ref>लम्हा</ref> मुझसे जो जुदा न हुआ॥
 
क्या मिला वहदते-वजूदी से<ref>एक-ईश्वरवाद से</ref>?
 
बन्दा, बन्दा रहा, खुदा न हुआ॥
 
बन्दगी में यह किब्रयाई<ref>अभिमान</ref> है?
 
ख़ैर गुज़री कि मैं ख़ुदा न हुआ॥
 
 
{{KKMeaning}}
</Poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits