Last modified on 26 अक्टूबर 2009, at 19:41

हम देखेंगे / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:41, 26 अक्टूबर 2009 का अवतरण (हम देखेंगे / फ़ैज़ का नाम बदलकर हम देखेंगे / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कर दिया गया है)

हम देखेंगे
लाजिम है कि हम भी देखेंगे
वो दिन कि जिसका वादा है
जो लौह-ए-अजल में लिखा है
जब जुल्म ए सितम के कोह-ए-गरां
रुई की तरह उड़ जाएँगे
दम महकूमों के पाँव तले
जब धरती धड़ धड़ धड़केगी
और अहल-ए-हिकम के सर ऊपर
जब बिजली कड़ कड़ कड़केगी
हम अहल-ए-सफा, मरदूद-ए-हरम
मसनद पे बिठाए जाएंगे
सब ताज उछाले जाएंगे
सब तख्त गिराए जाएंगे
और राज करेगी खुल्क-ए-ख़ुदा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो