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हम पहिरे मूगन की माला / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हम पहिरे मूंगन की माला,
हमारी कोऊ गगरी उतारो
कहां गये मोरे सैंया गोसंइयां,
कहां गये वा रे लाला,
हमारी कोऊ गगरी उतारो। हम पहिरे...
एक हाथ मोरी गगरी उतारो,
दूजे घूंघट संभालो,
हमारी कोऊ गगरी उतारो। हम पहिरे...
एक हाथ मोरी गगरी उतारो,
दूजे से चूनर संभालो,
हमारी कोऊ गगरी उतारो। हम पहिरे...
एक हाथ मोरी गगरी उतारो,
दूजे से लालन संभालो,
हमारी कोऊ गगरी उतारो। हम पहिरे...