भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम बच्चे / गिरीश पंकज

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सबके घर में दीप जलाएँगे, हम बच्चे,
हर आँगन ख़ुशियाँ बरसाएँगे, हम बच्चे ।।

सभी एक हैं हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई,
सबको जा-जाकर समझाएँगे, हम बच्चे ।

मेहनत और सच्चाई से ही देश बढ़ेगा,
देशभक्ति के गीत सुनाएँगे, हम बच्चे ।

सब के घर में दीप जलाएँगे, हम बच्चे ।
हर आँगन ख़ुशियाँ बरसाएँगे, हम बच्चे ।।