हम यहाँ कुछ तेरा मेरा नहीं होने देंगे
अपनी यकजहती को रूस्वा नहीं होने देंगे
जान दे देंगे अगर जान पे बन आएगी
सर नगूं हम ये तिरंगा नहीं होने देंगे
खाक़ में मिल भी गये हम तो कोई बात नहीं
ए वतन हम तुझे रूस्वा नहीं होने देंगे
हम पे हँसने को तरस जायेंगे दुनिया वाले
हम कभी खुद को तमाशा नहीं होने देंगे
सबके दुख दर्द को अपनाएँगे अपनों की तरह
अब किसी भाई को तन्हा नहीं होने देंगे
हम मुहब्बत के दिये कर के रहेंगे रोशन
अब किसी घर में अँधेरा नहीं होने देंगे