Last modified on 30 अक्टूबर 2017, at 11:38

हम वसंत बन कर / कुमार रवींद्र

अगले बरस
आयेंगे, सजनी, हम वसंत बनकर
 
टहनी-टहनी
फूलों का अध्याय लिखेंगे
पहली छुवन खुशबुओं की
हम तुमको देंगे
 
होने नहीं
तुम्हें देंगे बेमौसम ही पतझर
 
बिखर हवा में
हम फागुन की साँस बनेंगे
देह तुम्हारी
फिर मिठास से, सखी, भरेंगे
 
गायेगा फिर
राग फागुनी अपना पूरा घर
 
दिन गुलाल के आयेंगे
वे हमें भरेंगे
आँगन के तुलसीचौरे पर
धूप धरेंगे
 
हमको छूकर
तुम जपना, सजनी, ढाई आखर