Last modified on 16 मई 2022, at 23:35

हम विकास पथ के राही / हरिवंश प्रभात

हम विकास पथ के राही
हम अनंत तक जायेंगे
हम सपनों के झारखंड को
मंज़िल तक पहुँचायेंगे।

आसमान के तारों को हम
तोड़के भी ला सकते हैं
हम में पौरुष है सदियों से
ताकत दिखला सकते हैं।
बिरसा की पावन मिट्टी का
हर दिन तिलक लगायेंगे।

पत्थर पर भी फूल उगायें
ऐसा जज़्बा इसमें है
भारत माँ का मुकुट बनेगा
ऐसी सुषमा इसमें है।
जंगल के सुरभित आंचल
हम दुनिया में लहरायेंगे।

पीछे मुड़कर कौन देखता
हम आगे बढ़नेवाले
अपनी है पहचान यही
हम नित नवीन गढ़नेवाले।
झारखंड के गाँव-गाँव में
नया सवेरा लायेंगे।