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"हम हैं कुछ अपने लिए कुछ हैं ज़माने के लिए / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=मौसम आते जाते हैं / निदा फ़ाज़ली
 
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हम हैं कुछ अपने लिए कुछ हैं ज़माने के लिए
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घर से बाहर की फ़ज़ा हँसने-हँसाने के लिए
  
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यूँ लुटाते न फिरो मोतियों वाले मौसम
घर से बाहर की फ़ज़ा हँसने-हँसाने के लिए<br><br>
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ये नगीने तो हैं रातों को सजाने के लिए
  
यूँ लुटाते न फिरो मोतियों वाले मौसम<br>
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अब जहाँ भी हैं वहीं तक लिखो रूदाद-ए-सफ़र
ये नगीने तो हैं रातों को सजाने के लिए<br><br>
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हम तो निकले थे कहीं और ही जाने के लिए
  
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मेज़ पर ताश के पत्तों-सी सजी है दुनिया
हम तो निकले थे कहीं और ही जाने के लिए<br><br>
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कोई खोने के लिए है कोई पाने के लिए
  
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तुमसे छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था
कोई खोने के लिए है कोई पाने के लिए<br><br>
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तुमको ही याद किया तुमको भुलाने के लिए</poem>
 
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तुमसे छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था<br>
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तुमको ही याद किया तुमको भुलाने के लिए<br><br>
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22:42, 9 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण

हम हैं कुछ अपने लिए कुछ हैं ज़माने के लिए
घर से बाहर की फ़ज़ा हँसने-हँसाने के लिए

यूँ लुटाते न फिरो मोतियों वाले मौसम
ये नगीने तो हैं रातों को सजाने के लिए

अब जहाँ भी हैं वहीं तक लिखो रूदाद-ए-सफ़र
हम तो निकले थे कहीं और ही जाने के लिए

मेज़ पर ताश के पत्तों-सी सजी है दुनिया
कोई खोने के लिए है कोई पाने के लिए

तुमसे छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था
तुमको ही याद किया तुमको भुलाने के लिए