हम हैं वारस्ता मुहब्बत की मददगारी से
सबसे आज़ाद हुए दिल की गिरफ़्तारी से
शिकवा है जौरो-जफ़ा का तेरे किसी काफ़िर को
मुझपे गुज़री है सो मेरी ही वफ़ादारी से
पहुँचे गर शहरे-बुताँ में तो परे ऐ ’सौदा’
रहियो बाज़ारे-मुहब्बत की ख़रीदारी से
हम हैं वारस्ता मुहब्बत की मददगारी से
सबसे आज़ाद हुए दिल की गिरफ़्तारी से
शिकवा है जौरो-जफ़ा का तेरे किसी काफ़िर को
मुझपे गुज़री है सो मेरी ही वफ़ादारी से
पहुँचे गर शहरे-बुताँ में तो परे ऐ ’सौदा’
रहियो बाज़ारे-मुहब्बत की ख़रीदारी से